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अपने वादों से मुकरने लगी हो-Hindi Love Shayari

अपने वादों से मुकरने लगी हो आखिर क्यों इरादा बदलने लगी हो मुझसे मन भर चुका है या किसी और को पसंद करने लगी हो मुझसे क्या खता हो गई है आजकल गुस्से में रहने लगी हो जो पहले करती थी वही प्यार ढूंढने की कोशिश करने लगा हूं वह राज क्या है जिसके वजह से बदलने लगी हो वह बेवफा हो गई है दौलत देखकर किसी और पर फिदा हो गई है अपनी औकात के मुताबिक सब कुछ देने की कोशिश किया गलत प्यार की वजह से ख्वाहिशे अधूरी रह गई है

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SHAYARI SANGRAH shayari shayari shayari अपनी मुस्कान से दिल को चुराने लगी है आजकल इश्क का गुल खिलाने लगी है हर वक्त मुलाकात को बेकरार रहने लगा हूं कुछ इस तरह मन को लुभाने लगी है shayari

कभी सोचा ना था यूं छोड़ जाएंगे

कभी सोचा ना था यूं छोड़ जाएंगे जो हर वक्त मेरे दीदार को बेचैन रहते हैं टूट कर बिखर गए शीशे की तरह दर्पण में खुद को पहचान नहीं पाते हैं